December 26, 2009 Zareef Ahmed Khumaariये ख़ुमारी है कोई या नज़र का धोखा है, आप आप दिखते हैं ये मुझे हुआ क्या है. 3 responses to “Khumaari” Dalbeer Singh says: October 3, 2017 at 3:19 am Really. u r. Kamil…. Muqamal hain aap .. Nadeem Ahmad says: October 3, 2017 at 1:07 pm Kya baat Hai sir, Great lines Sir can I get your email address please… Mukesh kumar says: November 4, 2017 at 10:47 am कवितायें दोस्त होती हैं कुछ साधारण कुछ गहरी कोई दिनों के लिए साथ कोई दुनिया के लिए उम्र भर साथ चलने के लिए सिर्फ दो-चार… इरसाद साहब Leave a Reply Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email *
Really. u r. Kamil….
Muqamal hain aap ..
Kya baat Hai sir, Great lines
Sir can I get your email address please…
कवितायें दोस्त होती हैं
कुछ साधारण कुछ गहरी
कोई दिनों के लिए साथ
कोई दुनिया के लिए
उम्र भर साथ चलने के लिए
सिर्फ दो-चार…
इरसाद साहब