Banjaara
मैं रस्ता बन गया तो
ठहरा रहा वहीँ पे
तेरे पाँव बन गया हूँ
तो देख चल रहा हूँ
मैं बढ़ रहा हूँ आगे
मंजिल से मिल रहा हूँ
पंछी-बादल-भंवरा बन जा
या टूटे पत्ते सा आवारा
दिल कहता है
अब बन जा बंजारा
.
कच्चे टाँके तोड़ सभी तू
बंधे काफिले मोड़ सभी तू
जिस पर चलते बंधे बंधाये
वो अब रस्ते छोड़ सभी तू
.
रस्तों की बस ये पहचान
फलां मोड़ पे फलां दूकान
रस्ता बनके कितने दिन तक
नया नया तू रह पायेगा
दो दिन में ही लोगों की इक
आदत सी बनता जायेगा
.
अल्हड़ शोख हसीना का तू
तोला मासा बन जा हासा
या फिर उसका चढ़ता पारा
दिल कहता है
अब बन जा बंजारा
–===–
Ambrasiya Din
अंबरसिया दिन मीठे मीठे
संग चल आँखें मीचे मीचे
डूब के दिन में चल उबरे हम
हवा बनें और चल बिखरे हम
मस्ती धूप सी चढ़ती जाये
अब ये हसरत बढ़ती जाये
उधडूं ऊन के गोले सा मैं
हँसते हँसते तू जो खींचे
संग चल आँखें मीचे मीचे
अंबरसिया दिन मीठे मीठे…
.
अंबरसिया दिन मीठे मीठे
संग चल आँखें मीचे मीचे
घोंट के पी ले पल पल दिन का
तोड़ बाहों में तिनका तिनका
पीस दे मेंहदी जैसे हमको
कहाँ मिलेंगे हम फिर तुमको
तेरी ख़ातिर खेत बनूँ मैं
चाहत को फिर चाहत सींचे
संग चल आँखें मीचे मीचे
अंबरसिया दिन मीठे मीठे…
–==–
Laut Bhi Aa
थक गया उड़ता उड़ता
जाने किस तलाश में
रुक गया चलता चलता
जाने किसकी आस में
आवाज़ दो…
सुनता हूँ मैं हूँ जिंदा
अब वापसी…
चाहता है ये परिंदा
.
कोई सदा सुने आवाज़ लगे
कोई गजर बजे या शोर जगे
अब लौट भी आ परवाज़ न कर
ख़ुद को ख़ुद से नाराज़ न कर
.
आ लौट के अपने घर आजा
आ लौट के अपने दर आजा
आ लौट के तेरी राह तकूँ
आ लौट के दे दूँ तुझे सकूँ
अब लौट भी आ परवाज़ न कर…
.
क्यों पहुँच गया है वहां भला
जहाँ उमर से लम्बी तन्हाई
जहाँ सायें सायें सांस की है
जहाँ सूनेपन की शहनाई
तू दर्द को दिल का साज़ न कर
अब लौट भी आ परवाज़ न कर…
.
ये थकन जो अटकी है तुझ में
मेरे बदन पे दे उंडेल इसे
मैं तेरी ख़ातिर जिंदा हूँ
मेरे होते न तू झेल इसे
सो सीने पे आवाज़ न कर
अब लौट भी आ परवाज़ न कर
–==–
Dua Karo
किस दर्द के बेल और बूटे हैं
जो दिल की रगों में फूटे हैं
कोई झूठ ही आकर कह दे रे
ये दर्द मेरे सब झूठे हैं
चैन परिंदा घर आये दुआ करो
दर्द परिंदा उड़ जाये दुआ करो
मेरी तड़प मिटे हर रोग कटे
इस जिस्म से लिपटा इश्क हटे
तुम साफ़ हवा सी मिला करो
चैन परिंदा घर आये दुआ करो…
.
आँखों के आंसू सब देखें
कोई रूह की दरारें देखे न
मेरी ख़ामोशी के लब सी दो
ये बोले न ये चीखे न
मेरी सोच के पंख क़तर डालो
मेरे होने पे इलज़ाम धरो
मेरे गीत सभी के काम आये
कोई मेरा भी ये काम करो
न हवस रहे न बहस रहे
कोई टीस रहे न कसक रहे
तुम मुझको मुझसे जुदा करो
चैन परिंदा घर आये दुआ करो…
.
मैं एक ख़बर अखबार की हूँ
मुझे बिना पढ़े ही रहने दो
कागज़ के टुकड़े कर डालो
और गुमनामी में बहने दो
तुम मुझको ख़ुदपे फ़ना करो
चैन परिंदा घर आये दुआ करो
.
अश्कों की खेती सूखे अब
ज़ख्मों से रिश्ता टूटे अब
दिल तरसे न दिल रोये न
कोई सड़क पे भूखा सोये न
कोई बिके न कोई बेचे न
कोई खुदगर्ज़ी की सोचे न
कोई बंधे न रीत रिवाजों में
दम घुटे न तल्ख़ समाजों में
.
मैं सारे जहाँ का फिकर करूँ
फिर अपना भी मैं ज़िकर करूँ
मैं तपती रेत मरुस्थल की
इक सर्द शाम तुम अता करो
चैन परिंदा घर आये दुआ करो…
–===–
Kis dard ke bel aur bootey hain
Jo dil ki ragon mein phootey hain
Koi jhooth hi aakar keh de re
Ye dard mere sab jhoothe hain
Chain parinda ghar aaye dua karo
Dard parinda ud jaye dua karo…
.
Meri tadap mite har rog kate
Is jism se lipta ishq hatey
Tum saaf hawa si mila karo
Chain parinda ghar aaye dua karo…
.
Aankhon ke aansoon sab dekhein
Koi rooh ki daraarein dekhe na
Meri khamoshi ke lab si do
Ye bole na ye cheekhey na
Meri soch ke pankh katar daalo
Mere hone pe ilzaam dharo
Mere geet sabhi ke kaam aaye
Koi mera bhi ye kaam karo
Na hawas rahe na behas rahe
Koi tees rahe na kasak rahe
Tum khud se mujhko juda karo
Chain parinda ghar aaye dua karo…
.
Main ek kahabr akhbaar ki hun
Mujhe bina padhey hi rehne do
Kaagaz ke tukdey kar daalo
Phir gumnaami mein behne do
Meri saans bano tum chala karo
Chain parinda ghar aaye dua karo…
.
Ashqon ki kheti sookhe ab
Zakhmon se rishta toote ab
Dil tarse na dil roye na
Koi sadak pe bhookha soye na
Koi bike na koi beche na
Koi khudgarzi ki soche na
Koi bandhe na reet rivaajon mein
Dum ghute na talakh samajon mein
.
Main saare jahan ka fikar karun
Phir apna bhi main zikar karun
Main tapti reit marusthal ki
Tum badly banke chhua karo
Chain parinda ghar aaye dua karo
–==–
Kadapa [Andhra Pradesh] Dargah Mushaira on 20th April 2011
मंहगी हैं बड़ी खुशियाँ दुःख दर्द ही सस्ता है
“कामिल” जी फ़कीरी में दिल दर्द पे हँसता है
.
औरों को कभी न मैं अब हाल सुनाऊंगा
जो आप समझते हैं वो कौन समझता है
.
सर मेरा हुआ ऊंचा जब जब भी झुकाया है
मरती है अना जब भी किरदार संवरता है
.
दुनिया ये समझती है रोता हूँ तेरे दर पे
पगली वो कहाँ जाने ये प्यार छलकता है
.
बदलोगे अगर रास्ता तो ये भी समझ लेना
रस्ते को बदल कर दिल तक़दीर बदलता है
.
जितनी भी मोहब्बत की है दर्द के कम ही की
ये दर्द बुझाता हूँ तो और सुलगता है
.
ईमान की सोहबत में बस दीन पे चलना है
दुनिया से जन्नत तक सीधा सा रस्ता है
.
बच्चा था तो मेरे भी हाथों में था ईमां
ईमान जवानी में हाथों से फिसलता है
.
ग़ज़लें तो पढ़ी सबने नज़्में भी सुनाई हैं
“कामिल” ही मगर दिल के हर हाल को लिखता है
–===–
Menhgi hain badi khushiyan dukh dard hi sasta hai
Sahib ji faqeeri mein dil dard pe hansta hai
.
Munh pherti takleefein ghum bhaag nikalta hai
Jab aap huye mere to kaun theharta hai
.
Auron ko kabhi na main ab haal sunaunga
Jo aap samajhte hain vo kaun samajhta hai
.
Hota hai sabhi kuchh hi jab aapki marzi se
Banda kyon duniya mein bekaar uchhalta hai
.
Sar mera hua ooncha jab jab bhi jhukaya hai
Marti hai ana jab bhi kirdaar sanwarta hai
.
Sahib ki dua lekar lauta to jahan bola
Chehre ko zara dekho kya nor barista hai
.
Duniya ye samajhti hai rota hun tere dar pe
Pagli vo kahan jaane ye pyar chhalakta hai
.
Badaloge agar rasta to ye bhi samajh lena
Raste ko badal kar dil taqdeer badalta hai
.
Jitni bhi mohabbat ki hai dard ki kam hi ki
Ye dard bujhata hun to aur sulagta hai
.
Imaan ki sohbat mein bas deen pe chalna hai
Duniya se jannat ka aasaan sa rasta hai
.
Bachcha tha to mere bhi haathon mein tha imaan
Imaan jawani mein haathon se fisalta hai
.
Ghazalein to padhi sabne nazmein bhi sunai hain
KAMIL hi magar dil ke har haal ko likhta hai
–==–
Khuda
कल मेरे ख़वाब में ख़ुदा आया
पूछ बैठा वो हाल गलती से
और भी कुछ सवाल गलती से
मैं हर जवाब के बदले में ज़रा मुस्काया
कल मेरे ख़वाब में ख़ुदा आया
.
थोड़ा डूबा था अपनी सोचों में
थोड़ा उलझा था अपनी उलझन में
ये ख़ुदा वो ख़ुदा नहीं शायद
जिसको देखा था मैंने बचपन में
मैं जिसके साथ कभी खेला कभी लड़ आया
कल मेरे ख़वाब में ख़ुदा आया
.
.
Kal mere khawaab mein khuda aaya
Pooch baitha vo haal galti se
Aur bhi kuchh sawaal galti se
Main har jawaab ke badley mein fakat muskaya
Kal mere khawab mein khuda aaya
.
Thoda Dooba Tha Apni Sochon Mein…
Thoda Uljha Tha Apni Uljhan Mein…
Ye Khuda Vo Khuda Nahin Shayad…
Jisko Dekha Tha Maine Bachpan Mein…
Main Jiske Saath Kabhi Khela Kabhi Lad Aaya…
Kal Mere Khawaab Mein Khuda Aaya.