December 26, 2009

Banjaara

मैं रस्ता बन गया तो

ठहरा रहा वहीँ पे

तेरे पाँव बन गया हूँ

तो देख चल रहा हूँ

मैं बढ़ रहा हूँ आगे

मंजिल से मिल रहा हूँ

पंछी-बादल-भंवरा बन जा

या टूटे पत्ते सा आवारा

दिल कहता है

अब बन जा बंजारा

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कच्चे टाँके तोड़ सभी तू

बंधे काफिले मोड़ सभी तू

जिस पर चलते बंधे बंधाये

वो अब रस्ते छोड़ सभी तू

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रस्तों की बस ये पहचान

फलां मोड़ पे फलां दूकान

रस्ता बनके कितने दिन तक

नया नया तू रह पायेगा

दो दिन में ही लोगों की इक

आदत सी बनता जायेगा

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अल्हड़ शोख हसीना का तू

तोला मासा बन जा हासा

या फिर उसका चढ़ता पारा

दिल कहता है

अब बन जा बंजारा

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Ambrasiya Din

अंबरसिया दिन मीठे मीठे

संग चल आँखें मीचे मीचे

डूब के दिन में चल उबरे हम

हवा बनें और चल बिखरे हम

मस्ती धूप सी चढ़ती जाये

अब ये हसरत बढ़ती जाये

उधडूं ऊन के गोले सा मैं

हँसते हँसते तू जो खींचे

संग चल आँखें मीचे मीचे

अंबरसिया दिन मीठे मीठे…

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अंबरसिया दिन मीठे मीठे

संग चल आँखें मीचे मीचे

घोंट के पी ले पल पल दिन का

तोड़ बाहों में तिनका तिनका

पीस दे मेंहदी जैसे हमको

कहाँ मिलेंगे हम फिर तुमको

तेरी ख़ातिर खेत बनूँ मैं

चाहत को फिर चाहत सींचे

संग चल आँखें मीचे मीचे

अंबरसिया दिन मीठे मीठे…

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Laut Bhi Aa

थक गया उड़ता उड़ता

जाने किस तलाश में

रुक गया चलता चलता

जाने किसकी आस में

आवाज़ दो…

सुनता हूँ मैं हूँ जिंदा

अब वापसी…

चाहता है ये परिंदा

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कोई सदा सुने आवाज़ लगे

कोई गजर बजे या शोर जगे

अब लौट भी आ परवाज़ न कर

ख़ुद को ख़ुद से नाराज़ न कर

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आ लौट के अपने घर आजा

आ लौट के अपने दर आजा

आ लौट के तेरी राह तकूँ

आ लौट के दे दूँ तुझे सकूँ

अब लौट भी आ परवाज़ न कर…

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क्यों पहुँच गया है वहां भला

जहाँ उमर से लम्बी तन्हाई

जहाँ सायें सायें सांस की है

जहाँ सूनेपन की शहनाई

तू दर्द को दिल का साज़ न कर

अब लौट भी आ परवाज़ न कर…

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ये थकन जो अटकी है तुझ में

मेरे बदन पे दे उंडेल इसे

मैं तेरी ख़ातिर जिंदा हूँ

मेरे होते न तू झेल इसे

सो सीने पे आवाज़ न कर

अब लौट भी आ परवाज़ न कर

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Dua Karo

किस दर्द के बेल और बूटे हैं

जो दिल की रगों में फूटे हैं

कोई झूठ ही आकर कह दे रे

ये दर्द मेरे सब झूठे हैं

चैन परिंदा घर आये दुआ करो

दर्द परिंदा उड़  जाये दुआ करो

मेरी तड़प मिटे हर रोग कटे

इस जिस्म से लिपटा इश्क हटे

तुम साफ़ हवा सी मिला करो

चैन परिंदा घर आये दुआ करो…

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आँखों के आंसू सब देखें

कोई रूह की दरारें देखे न

मेरी ख़ामोशी के लब सी दो

ये बोले न ये चीखे न

मेरी सोच के पंख क़तर डालो

मेरे होने पे इलज़ाम धरो

मेरे गीत सभी के काम आये

कोई मेरा भी ये काम करो

न हवस रहे न बहस रहे

कोई टीस रहे न कसक रहे

तुम मुझको मुझसे जुदा करो

चैन परिंदा घर आये दुआ करो…

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मैं एक ख़बर अखबार की हूँ

मुझे बिना पढ़े ही रहने दो

कागज़ के टुकड़े कर डालो

और गुमनामी में बहने दो

तुम मुझको ख़ुदपे फ़ना करो

चैन परिंदा घर आये दुआ करो

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अश्कों की खेती सूखे अब

ज़ख्मों से रिश्ता टूटे अब

दिल तरसे न दिल रोये न

कोई सड़क पे भूखा सोये न

कोई बिके न कोई बेचे न

कोई खुदगर्ज़ी की सोचे न

कोई बंधे न रीत रिवाजों में

दम घुटे न तल्ख़ समाजों में

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मैं सारे जहाँ का फिकर करूँ

फिर अपना भी मैं ज़िकर करूँ

मैं तपती रेत मरुस्थल की

इक सर्द शाम तुम अता करो

चैन परिंदा घर आये दुआ करो…

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Kis dard ke bel aur bootey hain

Jo dil ki ragon mein phootey hain

Koi jhooth hi aakar keh de re

Ye dard mere sab jhoothe hain

Chain parinda ghar aaye dua karo

Dard parinda ud jaye dua karo…

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Meri tadap mite har rog kate

Is jism se lipta ishq hatey

Tum saaf hawa si mila karo

Chain parinda ghar aaye dua karo…

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Aankhon ke aansoon sab dekhein

Koi rooh ki daraarein dekhe na

Meri khamoshi ke lab si do

Ye bole na ye cheekhey na

Meri soch ke pankh katar daalo

Mere hone pe ilzaam dharo

Mere geet sabhi ke kaam aaye

Koi mera bhi ye kaam karo

Na hawas rahe na behas rahe

Koi tees rahe na kasak rahe

Tum khud se mujhko juda karo

Chain parinda ghar aaye dua karo…

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Main ek kahabr akhbaar ki hun

Mujhe bina padhey hi rehne do

Kaagaz ke tukdey kar daalo

Phir gumnaami mein behne do

Meri saans bano tum chala karo

Chain parinda ghar aaye dua karo…

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Ashqon ki kheti sookhe ab

Zakhmon se rishta toote ab

Dil tarse na dil roye na

Koi sadak pe bhookha soye na

Koi bike na koi beche na

Koi khudgarzi ki soche na

Koi bandhe na reet rivaajon mein

Dum ghute na talakh samajon mein

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Main saare jahan ka fikar karun

Phir apna bhi main zikar karun

Main tapti reit marusthal ki

Tum badly banke chhua karo

Chain parinda ghar aaye dua karo

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Kadapa [Andhra Pradesh] Dargah Mushaira on 20th April 2011


मंहगी हैं बड़ी खुशियाँ दुःख दर्द ही सस्ता है

“कामिल” जी फ़कीरी में दिल दर्द पे हँसता है

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औरों को कभी न मैं अब हाल सुनाऊंगा

जो आप समझते हैं वो कौन समझता है

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सर मेरा हुआ ऊंचा जब जब भी झुकाया है

मरती है अना जब भी किरदार संवरता है

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दुनिया ये समझती है रोता हूँ तेरे दर पे

पगली वो कहाँ जाने ये प्यार छलकता है

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बदलोगे अगर रास्ता तो ये भी समझ लेना

रस्ते को बदल कर दिल तक़दीर बदलता है

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जितनी भी मोहब्बत की है दर्द के कम ही की

ये दर्द बुझाता हूँ तो और सुलगता है

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ईमान की सोहबत में बस दीन पे चलना है

दुनिया से जन्नत तक सीधा सा रस्ता है

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बच्चा था तो मेरे भी हाथों में था ईमां

ईमान जवानी में हाथों से फिसलता है

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ग़ज़लें तो पढ़ी सबने नज़्में भी सुनाई हैं

“कामिल” ही मगर दिल के हर हाल को लिखता है

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Menhgi hain badi khushiyan dukh dard hi sasta hai

Sahib ji faqeeri mein dil dard pe hansta hai

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Munh pherti takleefein ghum bhaag nikalta hai

Jab aap huye mere to kaun theharta hai

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Auron ko kabhi na main ab haal sunaunga

Jo aap samajhte hain vo kaun samajhta hai

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Hota hai sabhi kuchh hi jab aapki marzi se

Banda kyon duniya mein bekaar uchhalta hai

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Sar mera hua ooncha jab jab bhi jhukaya hai

Marti hai ana jab bhi kirdaar sanwarta hai

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Sahib ki dua lekar lauta to jahan bola

Chehre ko zara dekho kya nor barista hai

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Duniya ye samajhti hai rota hun tere dar pe

Pagli vo kahan jaane ye pyar chhalakta hai

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Badaloge agar rasta to ye bhi samajh lena

Raste ko badal kar dil taqdeer badalta hai

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Jitni bhi mohabbat ki hai dard ki kam hi ki

Ye dard bujhata hun to aur sulagta hai

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Imaan ki sohbat mein bas deen pe chalna hai

Duniya se jannat ka aasaan sa rasta hai

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Bachcha tha to mere bhi haathon mein tha imaan

Imaan jawani mein haathon se fisalta hai

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Ghazalein to padhi sabne nazmein bhi sunai hain

KAMIL hi magar dil ke har haal ko likhta hai

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Khuda


कल मेरे ख़वाब में ख़ुदा आया

पूछ बैठा वो हाल गलती से

और भी कुछ सवाल गलती से

मैं हर जवाब के बदले में ज़रा मुस्काया

कल मेरे ख़वाब में ख़ुदा आया

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थोड़ा डूबा था अपनी सोचों में

थोड़ा उलझा था अपनी उलझन में

ये ख़ुदा वो ख़ुदा नहीं शायद

जिसको देखा था मैंने बचपन में

मैं जिसके साथ कभी खेला कभी लड़ आया

कल मेरे ख़वाब में ख़ुदा आया

.

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Kal mere khawaab mein khuda aaya

Pooch baitha vo haal galti se

Aur bhi kuchh sawaal galti se

Main har jawaab ke badley mein fakat muskaya

Kal mere khawab mein khuda aaya

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Thoda Dooba Tha Apni Sochon Mein

Thoda Uljha Tha Apni Uljhan Mein…

Ye Khuda Vo Khuda Nahin Shayad…

Jisko Dekha Tha Maine Bachpan Mein…

Main Jiske Saath Kabhi Khela Kabhi Lad Aaya…

Kal Mere Khawaab Mein Khuda Aaya.