Laut Bhi Aa
थक गया उड़ता उड़ता
जाने किस तलाश में
रुक गया चलता चलता
जाने किसकी आस में
आवाज़ दो…
सुनता हूँ मैं हूँ जिंदा
अब वापसी…
चाहता है ये परिंदा
.
कोई सदा सुने आवाज़ लगे
कोई गजर बजे या शोर जगे
अब लौट भी आ परवाज़ न कर
ख़ुद को ख़ुद से नाराज़ न कर
.
आ लौट के अपने घर आजा
आ लौट के अपने दर आजा
आ लौट के तेरी राह तकूँ
आ लौट के दे दूँ तुझे सकूँ
अब लौट भी आ परवाज़ न कर…
.
क्यों पहुँच गया है वहां भला
जहाँ उमर से लम्बी तन्हाई
जहाँ सायें सायें सांस की है
जहाँ सूनेपन की शहनाई
तू दर्द को दिल का साज़ न कर
अब लौट भी आ परवाज़ न कर…
.
ये थकन जो अटकी है तुझ में
मेरे बदन पे दे उंडेल इसे
मैं तेरी ख़ातिर जिंदा हूँ
मेरे होते न तू झेल इसे
सो सीने पे आवाज़ न कर
अब लौट भी आ परवाज़ न कर
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11 responses to “Laut Bhi Aa”
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Wah kya baat hai Huzoor…bahut hi umda nazm hai.
Kya Kahun……..the Ultimate one.
Very beautiful, the real virgin thought , untouched …..which touched deep inside.
‘ Yeh thakan jo Atki Hai Tujh Main
Mere Badan pe de Udel ise………….Superb
Jahan Saayen Saayen Saans ki Hai..
Jahan Soone pan ki Shahnai…
Hairan hun kya Sach main …yeh ..Lekhni kisi insaan ki hai..
Bilkul kisi aasmaani kitaab ke…Roohani ..Jumle ki terah………….
Great…………..let me believe…..It is really written by a human.
Mehnaz B. Aapki itni hausla afzai ke liye behad mashqoor hun. Duaon mein hamesha yaad rakhiyega. Khush rahiye.
Shaikhspear Thanks a lot, I am humbled.
Pari Behan aapka bahut bahut Shukriya.
Dawar sahib shukriya aapka.
beatific …emotive…inclusive…
awesome…
Rutuja Thanks.
मैं तेरी ख़ातिर जिंदा हूँ
मेरे होते न तू झेल इसे
सो सीने पे आवाज़ न कर
अब लौट भी आ परवाज़ न कर
my favorite lines ….. Irshad after a long time I see the same old amazing deapth …. God Bless .