BOLTI DEEWAREN
तमाम उम्र के अरमान सीने में दफ़न किये हुए-कभी हम चलते फिरते मज़ार हैं-कभी एक दूसरे को बहुत कुछ करने से रोकती हुईं -चलती फिरती ‘बोलती दीवारें’। ऐसी दीवारें जो प्रेम का शोर सुनती हैं, प्रेम पर बात करती हैं, लेकिन उसे अपने तरीक़े से परिभाषित करना भूल जाती हैं। ‘बोलती दीवारें’ रिश्तों और प्रेम की नयी व्याख्या भी है और व्याख्या की खोज भी।