तुम्हारी बात होती है
तुम्हारी बात होती है
या काँटा
जो चुभ जाता है
प्यार की राह पे चलते हुए
मेरे दिल के पाओं में
और लहू की धार दो हिस्सों में बाँट देती हैं उस राह को
.
तुम्हारी बात होती है
या मेरे उस वजूद में दरारें डालने की कोशिश
जिसे कमज़ोर करने की ख्वाहिश में
दुनिया हार गयी
धरती टूट गयी
बँट गयी सात महाद्वीपों में
.
तुम्हारी बात होती है
या तेज़ चाकू की धार
जो कानों से दिल तक
बराबर-बराबर बाँट देती है मुझे
और मैं अपने लहुलुहान प्यार की
नब्ज़ पे हाथ रखे
पल भर के लिए दम तोड़ते देखता हूँ उसे
.
कमबख्त प्यार भी कैसी शै है
पल भर मरता है
दूसरे ही पल फिर ज़िन्दा हो जाता है
मुझे मारने के लिए
तुम्हारी किसी नयी बात से
.
तुम्हारी बात होती है
या मेरी मौत की आहट
जो अनजाने चली आती है दबे पाओं !
–==–
6 responses to “तुम्हारी बात होती है”
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very passionate, very powerful……greatly emotive …SUPERB
Irshadji, blogging Ur blog is really creative and gr8 experience, it is my nice habit and m luving dis sweet addiction 🙂
+ Thanx
Surely, blogging here must be a treat…& more than it — for all your fans and friends.
aapka har lavz lahu luhaan hai … ehsaas ghayal hai..
bohat achchha likha hai aapne Irshad ….
Please accept my blessings once again … may you always write beautifully … and simply … in your very own style .
Thanks a Lot,I am humbled.
bahut jaan hai aapke likhe mein. padhne wale ki hi jaan nikaal le jata hai. bahut bahut bahut khoob.
Bahut udasi bhari aur aansuon mein bheegi hui kavita hai. “कमबख्त प्यार भी कैसी शै है
पल भर मरता है
दूसरे ही पल फिर ज़िन्दा हो जाता है
मुझे मारने के लिए
तुम्हारी किसी नयी बात से
ye panktiyan bahut he khoobsurat aur bhavuk kar dene wali hain, aapka jawaab nahin.