Geet, Geetkaari Aur Faiz-8
मैंने ख़ुद को मन ही मन कहा इरशाद कामिल दूसरों पे फैज़ साहिब का प्रभाव ढूँढ रहे हो पहले ख़ुद पे देख लो! गुलज़ार साहिब के लेखन पर मिर्ज़ा ग़ालिब का असर साफ़ है लेकिन फैज़ की कलम का लोहा वो भी मानते हैं! वो मानते हैं कि फैज़ साहिब पूरी तहरीक के रहनुमा थे, फैज़ साहिब को समर्पित उनकी एक नज़्म है:
चाँद लाहोर की गलियों से गुज़र के एक शब्
जेल कि ऊंची फ़सीलें चढ़ के
यूँ कमांडो की तरह कूद गया था सैल में
कोई आहट न हुई
पहरेदारों को पता ही न चला
फैज़ से मिलने गया था ये सुना है
फैज़ से कहने
कोई नज़्म कहो
वक़्त की नब्ज़ रुकी है
कुछ कहो…वक़्त की नब्ज़ चले…!
फैज़ की शायरी के प्रभाव में आये कुछ फ़िल्मी गीतों और गीतकारों की चर्चा ऊपर की और मेरा विश्वास है कि ये चर्चा और बहुत लम्बी चल सकती है जो कुल मिलाकर यही साबित करेगी कि हिंदी फ़िल्मी गीतकार फैज़ की छाया में नहीं बल्कि धूप में हैं और उसकी शायरी से हमेशा थोड़ी बहुत गर्माहट लेते रहे हैं ! किसी गीतकार के किसी गीत पर किसी शायर के किसी ख़्याल का या ज़मीन का असर होना मुझे थोड़ा बुरा तो लगता है लेकिन तकलीफ नहीं देता, वो इसलिए कि मैं ये सोच कर खुश हो जाता हूँ… कम से कम आज का गीतकार किसी शायर को पढ़ तो रहा है! ख़ैर, जो है अच्छा है और आगे जो होगा वो भी अच्छा ही होगा, उम्मीद पे दुनिया कायम है!
फ़िल्मी गीतों पे अगर नहीं आया तो फैज़ साहिब का इन्क़लाबी रंग नहीं आया! इसका कारण मैं ये मानता हूँ कि हमारे यहाँ देश प्रेम की फिल्में लगभग ना के बराबर बनती हैं, अगर बनें तो शायद वहां भी फैज़ अपना जलवा दिखा दे, क्योंकि वो ऐसा शायर है:
जिसने तहरीक बदलने का ख़वाब देखा था
सूर्ख़ फूलों में भी इंक़लाब देखा था…
#OnFaiz
72 responses to “Geet, Geetkaari Aur Faiz-8”
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Jaise apki tehrir ka alag rang h..sabse juda..”jo bhi mai kehna chahu barbaad kare alfaaz mere”
Very Nic Thought
.
By Irshad Sir
Thnx For This Quit
Love Kush, Aapka bahut shukriya.
Every poet writes his heart out, for him his poems are not just collection of words but an emotion which he intends to pass it on to his listeners, you have given Hindi cinema some evergreen hits, I am one amongst many admirer of your poems. The one that really has engraved in my heart is BULLEYA from sultan. Thank you such a great writing.
Jo bhi main kehna chahu barbaad kare alfaaz mere. ..it happens to me,sir..I write everyday.. but I think my words can not express my thoughts effectively. ..
Sir, I write stories and poems but I think my words can’t express properly what I really want to say …Inshallah zindagi mein jab bhi mauka mile,Aap se shikhna hai…
Ji Zaroor.
Shukriya reply karne k liye,sir.I am from Gujarat.English literature padha hai. Philosophical books padhti hu.Mirza galib , Amir Khusro,Gujarat k Mariz, Befaam ko padhti hu,sir.Aur ye jaanti hu k achha likhne k liye achha padhna aur bahut padhna jaruri hai.Allahrasul (s.a.w.) aap se rubaru milne ka mauka de tab tak kya aap online thodi help kar diya karenge?Agar mumkin ho toh…(haala ki ye jaanti hu k ye impossible hai,lekin ye bhi maanti hu k muqaddar mein likha ho toh positive answer bhi mil jaaye)It will help me lot.Main twitter par aap ki follower hu.Plz apni taraf se koi book bataayiye jo padhni chahiye for hindi poems
Sirajunnisha Malek, Hindi mein bahut se achhe kavi hain. Aap shuruat Mahadevi Verma, Sarveshwar Dayal Sexena aur Uday Prakash se kar sakti hain. Yeh teenon alag alag peedhi ke kavi hain.
सर प्रेरित हूँ मैं बहुत आपसे
आपकी लिखी हर बात से
चुनना चाहता हूँ कुछ पत्ते
आपके शब्द ज्ञान की शाख से
सूफी प्रेम है
भवरे का फूल से
गुमनाम का मकबूल से
शिक्षा का स्कूल से
इज्जतदार का ऊसूल से
मीरा का कृष्ण से
राख का अग्न से
नीदों का ख्वाब से
द्रष्टि का आँख से
जुबां का आवाज़ से
सुरों का साज़ से
जिस्म का परछाई से
बच्चे का माई से
जड़ का पेड़ से
मंजिल का मेड़ से
बारिश का बादल से
कालिख का काजल से
दीपक का रौशनी से
राग का रागनी से
इत्र का खुशबू से
शिष्य का गुरु से
ईश्वर का प्रार्थना से
संत का साधना से
काव्य का कवि से
श्रृंगार का रति से
खुशी का मुस्कान से
सूरज का आसमान से
मिट्ठी का धरती से
सर्द का सर्दी से
हिमालय का बर्फ से
चन्दन का सर्प से
दुआ का अर्ज़ से
पिता का फर्ज़ से
कागज़ का कलम से
सुकून का मरहम से
महबूब का सनम से
ज़िन्दगी का जन्म से
पंछी का उड़ान से
मुनि का ध्यान से
पर्वत का ऊंचाई से
मन्नत का दुहाई से
खुदा का खुदाई से
अंकित का स्याही से
मेरे वर्तमान ज्ञान की वाणी यही कहती है कि
जिसका आस्तित्व सौंदर्य के आयाम सहित
एक दूसरे के बिना अधूरा है वही सूफी है।
सर माना की हर कवि का नज़रिया अपना होता है।
मगर हर नज़रिया सही है ये ज़रूरी नही। क्या ये सही है या नही ? कृपया बताएं ज़रूर।
sir your SAFAR song is just marvellous!!!
Divans Thanks a Lot.
Namastey sir…aapke geet lakho baar sunta hun mann barta hi nhi maane kyu.. sadda haq ,ye dooriyaan ,tu jaane na, agar tum saath hun aur bahut se geet hai jo dil ko sakoon dete hai…lajwab …haan ye bhi jaanta hoon likhna bahut mushkil kaam hain. Aapse milne ki bahut tamnna hai..
Irshad Sir ye jo aap likhte ho kasam se aisa mehsoos karati hai ki bas sab chod chad ke ye geet sunte hi jaye
aur kho jaye shantidham me..
Pradeep, Bahut Shukriya. Geet sunte rahein.
Gaurav, Sangeet sich mein Shanti deta hai. Shukriya.
Hello sir…main aapka aur sameer ji ka bahut bada fan hu…sameer ji ne love song superb likhe hai..aapne bhi superb likhe hai…love songs likhte rahiye…..
हैलो सर,
मेरा नाम लवकुश है, मैं आपका बहुत बड़ा प्रशसंक हूँ। मैं भी लेखक हूँ और आपकी तरह साहित्य की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता हूँ।
सर, “एक महीना नज़्मों का” से पहले भी मैंने आपकी कई किताब पढ़ी व लगभव सारे गीत सुने ।आपके ख्याल , सोच , अंदाज़ सच में सब से जुदा हैं। मैं आपकी तहरीर का दिल से मुरीद हूँ।
सर, “एक महीना नज़्मों का” से पड़ोस की छत पर, चिराग़, अगला मोड़, निम्मो, ख़त, दस्तूर,बच्ची मिट्टी प्यार, ख्वाईश व अन्य कई मेरे दिल के बहुत करीब हैं। पर कुछ नज़्में मेरी समझ से परे हैं जैसे “सूखे होंठ” । बार बार पड़ने पर भी इसका मुक़म्मल ख्याल मैं समझ नहीं पा रहा हूँ। रात भर इस नज़्म के मिसरे बड़बड़ाता रहता हूँ पर सिर्फ उलझता ही हूँ।
सर, कोई नहीं है जो मुझे बता सके समझा सके , इसलिए सोचा कि आपसे बात की जाए। सर , हो सके तो मुझे ये नज़्म “सूखे होंठ” विस्तार से समझाने की कृपा करें।
आपका प्रशंसक
लवकुश चौधरी
शायद मेरे कम-मकबूल शब्दों की आवाज़ आप तक नहीं पहुंची।
मुझे लगता है इन राहों में कहीं खो गई ,आज तक नहीं पहुंची।।
लाखों की भीड़ में ही खो गए शायद वो लब्ज़ जिनकी फरियाद तक नहीं पहुंची।
माना इरशाद सर मामूली हैं मेरे सवाल जिनकी बात आपके शिखर-ए-एहसास तक नहीं पहुंची।।
अपनी राहें बुन रहा हूँ सिर्फ फर्क है कि मेरी तलाश आपकी तलाश तक नहीं पहुंची।
कुछ कतरे मांगे आपके अनुभव के ,मगर आपकी नज़र मेरी कला की साख तक नहीं पहुंची।।
सोचा मुझ पौधे को कुछ अपने ज्ञान की बूंदे देंगे,मगर आपकी बारिश मेरी प्यास तक नही पहुंची।
शायद मेरे कम-मकबूल शब्दों की आवाज़ आप तक नही पहुंची।।
सर, मैं कई सालों से आपके लिखै हुए गीत सुन रहा हूँ। मैं हक्सले, गानें लिखने का शौक़ रखता हूँ। मुझे बताएँ की आपकी कौनसी किताब को पढूं कि मैं और बेहतर लिख सकूँ।
Sir aap bahut acche gaane ar poem likte hai…thanku sir itne dil ko Chu jane wale sabd likne Kai liye… sir Mai bhi aap sai prena lekar poems ar quotes likti Hu jisse mujhe sukun milta hai…sir aap Sai Milne Ki kwahish hai…kuch shikne Ki chaht h aap Sai…ku Ki aap bahut samvednsheel writer hai Jo dil ke jakmo ko kalm Sai baya kar dete hai…sir mujhe apna ashirwad digie …aap meri prena hai… some line for u only… Tareef karu kya Teri..tu hai uspaar tareefo ke …Kaha Kisi kalm Mai takat aisi …Jo likh de Tere jaisi…khuda nai baksi tujhko niyat aisi…kalmo Sai jhdti Jo fuloo jaise…Hridai cheer Kai rakh dete hai Jo..Kaha Kisi ar Mai samvedna aisi Irshad kamil jaisi.. sir thanku
Usne mujhe apna yaar naa sahi ,
Shahyar toh Bana hi diya !
Sir aapka yogdaan sahitya ke Kshetra nai atuliya hai
Aapko koti koti vandan .
“Kuch baat h to keh do
Me hr baat mi tumhare saath hu ” these line of my one poem VO SHEHER inspired me to write a complete plot (In form of short story) to say this one line.
And Irshad sir I LOVE YOU
सर, आपके गीतों में जो भाव है, वैसे ही भाव आपके लिखे गीतों को सुनने से मुझमें आते हैं, ऐसा संभव है. मैं आपका शुक्रगुजार हूँ, मेरे मन की भावों को शब्दों में मुझे सुनने देते है. क्या ये सच है आप मन के भाव पढ़ते है.
Arpan, Shukriya.
लवकुश, सबसे पहले मेरी नज़्में पसंद करने के लिए बहुत शुक्रिया।
उसके बाद जहाँ तक नज़्में या कवितायेँ समझाने की बात है तो दोस्त ये अपने आप समझी जाती हैं। ये भी एक तरह का सफ़र है जिसका अलग मज़ा है।
अम्मार, मेरी किताब का नाम ‘एक महीना नज़्मों का’ है। पता नहीं वो किताब किसी को कुछ सीखा सकती है या नहीं।
Aradhana, Bahut shukriya aapka. Likhte rahein, Allah kare zor-e-qalam aur zyada.
Aagam, Shayad sirf aap hi aisa samajhte hain:-) Bahut Shukriya.
Aakash, Thank U.
श्रवण, मैं मन के भाव पढ़ने की कोशिश तो करता हूँ। कभी सफल कभी असफल।
अंकित, वाह।
शुक्रिया इरशाद साहिब रिप्लाई करने के लिए…और आपने बिलकुल सही कहा, कविता कोई समझने समझाने वाली चीज नहीं है, वो तो सिर्फ एक एहसास है जिसे महसूस किया जा सकता है…?
लव यू सर❤
Thanku sir for reply me
.
great fan of your sir..keep writing and inspiring us.
Sir namastey, jaise hum aapke geeton ko baar -baar suntein hain waise kya aap bhi apne geeton ko baar – baar suntein hain?
सर मैं भी आपका बहुत बडा प्रशंसक हुँ, मैंने आपकी कोई पुस्तक तो नहीं पढी है परंतु मुझे आपके लिखे फिल्मी गीत में बिखरे शब्दों का जादु मुझे बहुत अचंभित करता है। मैं भी गीतकार बनना चाहता हुँ, मुम्बई में ही रहता हुँ, आप बताइये कृपया कहाँ से आरंभ करना चाहिए?
“Ek Mahina Nazmo Ka” is a good collection of poems. Salute You Sir. Keep your work on. People like us learn more from you sir.
Prasoon Thank You.
Pradeep Bahut achha sawaal hai. Baar-Baar to nahin par ek baar dhayan se zaroor sunta hun ki kahin koi kami to nahin reh gayi.
Chetan, Insaan jahan se shuru karna chahe wahan se shuruat ho jaati hai.
Pushpendra, Thank You for liking ‘Ek Maheena Nazamon Ka’
sir, u r just amazing….single piece of your kind. your songs, poetries, everything is अद्भुत एवं अद्वितीय
सर मैं एक कवि बनना चाहता हूँ। बचपन में 14 वर्ष की उम्र से लिख रहा हूँ
और साथ ही सीख भी रहा
हूँ।मैंने काफी नज़्में लिखीं हैं,गज़लें लिखीं हैं,गीत भी लिखें हैं। अधिकतर साहित्य की रूह रखने वाली किताबें पढ़ता हूँ। मजरूह सुल्तानपुरी,शैलेन्द्र,साहिर लुधियानवी,गुलज़ार साहब,आनंद बक्शी,आपके ,मनोज सर के और नवीन सभी गीतकारों के गीत सुनता हूँ। मैं जानता हूँ सर की संघर्ष तो काफी करना पढ़ता है वो हमेशा मैं करता रहूँगा। मैंने काफी जगह कोशिश की मगर किसी ने मौका नहीं दिया। एक चावल से पहचान लिया जाता है।ये मेरा एक सूफी गीत है। कृपया पढ़कर बताएं ज़रूर कि मैं लिखने में क्या गलती कर रहा हूँ ?
ज़ेहन में बना तसव्वुर है तू
जिस्मानी है या कोई रूह
मगरूर है या खफा है तू
तराशे तुझे खुदाया मेरी आरज़ू
मगर तू मिले ना
है कहाँ क्यूँ दिखे ना
आसमानों में,सारे जहानों में
मिलता नहीं तू खुदा
तेरे निशानों में
ढूँढा दुआओं की ज़ुबानों में
मिलता नहीं क्यूँ खुदा
तेरे निशानों में
अर्ज़ियों से लिपटे
पन्ने तेरे दर पे
है पड़े,पर तू सुने ना
तस्बीह में पढ़े
लब्ज़ मैंने तेरे
हर लम्हे,सर झुके यहाँ
मगर तू मिले ना
है कहाँ क्यूँ दिखे ना
आसमानों में…….
सारे जहानों में ……
इबादतों के अल्फाजों की
खामोश ज़ज्बातों की
बातें सुन ले ज़रा
मुक्तसर ख्वाहिशों की
हाज़िर गुज़ारिशों की
महसूस कर ले सदा
मगर तू मिले ना
है कहाँ क्यूँ दिखे ना
आसमानों में…..
सारे जहानों में …..
अंकित, कोई भी सृजना कम या ज़्यादा नहीं होती। हर सृजन अच्छा है।
Namastey sir , aapke geet likhe hue saare geet bahut ache hain . Unhi ke saath aapke interview bhi bahut ache hai jab bhi aapke interview dekhta hun inspire bahut hota hun andar se. Aapka sambhaw bhi bahut naram hai aap bahut hi ache insaan hai. Aapki interview mein kahi har baat inspire karti hai.
महोदय,
आपसे बहुत प्रेरित भी हूँ और आपका प्रशंशक भी हु।
मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी महेश्वर का निवासी हु। साहित्य और इतिहास के प्रति प्रेम यूँ तो परवरिश और माहौल से ही पनपता रहा परंतु समय, समझदारी और अनुभव के आरोहण से यह अप्रतीम और अपरिवर्तनीय हो गया। अत्यंत हर्ष होता है यह देख कर की सिनेमा जगत जैसे नितांत व्यावसायिक उद्योग मे कोई व्यक्ति अपनी साहित्यिक शिक्षा और देशज कल्पनाओं से नई अनुभूति के आयाम स्थापित कर रहा है। आपके गीतों में नई पिढ़ी के शब्दों के साथ कस्बाई भावनाओ का प्रयोग बहुत ही प्रभावशाली है।
आपके गीतों, गोष्ठियों और साक्षात्कारों से साहित्यिक तृष्णा तो शांत होती है किंतु क्षुधापूर्ति नही हो पाती।
इसी उद्देश्य के साथ मुम्बई प्रवास पर आया हुँ, अगर महोदय अपने व्यस्तम समय से कुछ क्षण इस तुच्छ को दे पाएं तो ये मेरे जीवन का श्रेष्ठ संस्मरण होगा।
आपकी कृपा का प्रार्थी हूँ।
सविनय प्रतिक्षारत
प्रेमांशु
9893112618
Pradeep Kumar Garg, Bahut shukriya tumhara. Achha sangeet sunte rahein.
प्रिय प्रेमांशु
आपने मेरे प्रति जो संज्ञायें, सर्वनाम और विशेषण प्रयोग किये हैं उनमें से कितनों का दायित्व मेरी लेखनी पर है इसका अनुमान तो नहीं परन्तु यह आभास अवश्य हो रहा है कि आप गीत के बोल ध्यानपूर्वक सुनते हैं। ऐसा करने वाले लोग आजकल विरले हैं। जहाँ तक मिल पाने की बात है वो संभव नहीं हो पायेगा क्योंकि मैं स्वतंत्र लेखक होते हुए भी अपनी व्यस्तताओं के अधीन हूँ।
आपको शुभकामनयें।